एक तरफ विद्युत निगम के अधिकारी ताबड़तौड़ वीसीआर भरकर अपना कोटा पूरा कर रहे हैं वहीं दूसरी और शिकायतों पर अनदेखी कर रहे हैं आखिर ऐसा भेदभाव किस वजह हैं जानकार सुत्रों का कहना है कि निगम अधिकारी और कर्मचारी शिकायतों को दूर करने के पचड़े में पड़ने से बचते हैं उनका शिकार तो छोटे उपभोक्ता ही होते हैं। बड़े लोगों और उनके प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई उनके लिए खतरा साबित हो सकती हैं।
एक शिकायत 27/12/2013 को दर्ज करवाई गई हैं। यह श्किायत सुगम और संबंधित एईएन को दी गई है। अब देखना ये हैं कि इस शिकायत पर कितने दिन में कार्रवाई होती है या फिर यह शिकायत रद्दी की टोकरी की शोभा बढ़ाएगी। आगे की कार्रवाई के लिए करते रहिए इंतजार!
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5 साल में बिजली कंपनियों का घाटा बढ़ गया 5 गुना,15 हजार करोड़ से बढ़कर हो गया 71 हजार करोड़-
ETV Rajasthan-24-12-2013
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